IEnumerable "<"invention">" invention = from i in DataContext.invention where i.Sharable == true select i
Friday, 19 February 2021
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Sunday, 14 February 2021
हंमेशा ही ये साबित करना की सभी जेहादी बुरे नहीं होते ये भी एक स्ट्रेटेजी हे
मोहम्मद हामिद अंसारी ने रिटायरमेंट के समय जो कहा था उश्से विपरीत बात गुलाम नबी आजाद से बीजेपी ने बुलवाया और ये साबित करने की कोसिस की की सभी जेहादी बुरे नहीं होते और एके बार फिर पोलिटिकल करेक्टनेस और सेकुलरिस्म की मेसेज की राजनिति कर के देश की जनता को कन्फूस किया हे . ( गुलाम नबी आजाद के लिए मोदीजी ने आँसू बहकर बहोत बड़ी गलती करदी हे ) जिनका धर्म मानवता का दुश्मन हे , जिनका आचारन पूरी जिंदगी नेचर और एनिमल्स (प्राणी, जंतु ,पशु ) के विरुद्ध हे उनके लिए असू बहाना व्यर्थ हे
मोहम्मद हामिद अंसारी हो या गुलाम नबी आजाद ये दोनों गजवाये हिन्द के लिए ही काम कर रहेहे इस लिए किसी भी तकरीके से गुण गान करना बंद करना होगा
गुलाम नबी आजाद ने अभी भी मोहम्मद हामिद अंसारी को गलत नहीं कहा हे , उशने सिर्फ एके बयान बाजी की हे हमारे लोग ही उस का मतलब किनक ने में लगे हे . हमारे लोग जरासी वाह वाही में बहोत उड़ने लगते हे . अगर कोई जेहादी राम मंदिर के लिए १०० रूपया डोनेट करता हे तो उसे वही पर कहदो की OK .
उस की प्रशंसा करके उसका मार्केटिंग मत करने लगो . हमारे अज्ञानी लोग जेहादी के १०० रूपया के डोनेशन में पूरी जिंदगी उसका सेल्स एंड मार्केटिंग की जॉब करने लगजाते हे
और राष्ट्रवादी और अखंड भारत के निर्माण के लिए जोभी काम कर रहा हो ऐसे हरेक व्यक्ति को ये बात हमेसा याद रखनी चाहिए
योगी आदित्यनाथ , अमित शाह , नरेंद्र मोदी जैसे नेता हमें २१ मि सदी में पहली बार मिले हे , ये बात अच्छी हे
लेकिन राष्ट्रवादी और अखंड भारत के निर्माण के लिए जोभी काम कर रहा हो उसे व्यक्ति पूजा और फेन फोल्लोविंग से ऊपर उठाना होगा . संवैधानिक गरिमा और इंटरनेशनल और इंटरनल पॉलिटिकल हालत के चलते हमारे नेता पलिटिकल करेक्टनेस और सेकुलरिस्म की मेसेज की राजनीती करते हे ऐसा हो सकता हे लेकिन आइडियोलॉजी ही सेकुलर हो ऐसा भी हो सकता हे ये सिर्फ जेहादी ओ को ही नहीं राष्ट्रवादी ओ को भी कन्फूस करते हे , ये कभी भी एके तरफ़ा झुकाव नहीं रखते , दोनों तरफ से बाते करते हे असल में इनके विचार ही ऐसे हे या इनकी ये पोलिटिकल स्ट्रेटेजी हे ये तो भविष्य ही बताएगा , लेकिन हमें सभी को शक के दायरे में लेकर ही चलना हे
Dialectic मेथड से हमें सभी परिस्थिति को देख नाहे और ,सिर्फ विश्वास के भरोसे नहीं रहना हे
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ऐतिहासिक उदाहरण :
ब्रिटिश ( अंग्रेज ) लोग १९३८ से ही जान गए थे की अब १० साला से ज्यादा हम भारत पर राज नहीं करपायेंगे
अंग्रेज लोग ये जानते थे की अगर भारत ने शस्त्र का इस्तेमाल करके स्वराज की मांग चालू कर दी तो ५ साल भी भारत उनके हाथो में नहीं रहने वाला
1938 से 1945 तक हिटलर ने ब्रिटिश को इतना नुकसान करवाया था की अब ब्रिटिश की हालत , शस्त्र स्वराज की मांग को रोक ने के लिए सक्षम नहीं थी
शस्त्र संग्राम होता तो ब्रिटिश वैसे ही भारत को छोड़ कर चले जाते ऐसा नहीं है , वे शस्त्र संग्राम को बेहद क्रूर तरीके से कुचल ने की कोसीस करते , लेकिन उन्हें पता था की अगर लम्बे टाइम के लिए ये चला तो फिर उन्हें यहा से जल्दी से खाली हाथ लौटना पड़ता
इस लिए उन्होंने १ कमजोर नेता और कायरता की पोलिटिकल स्ट्रेटेजी को बढ़ावा दिया
जब भी कोई आंदोलन हो या सत्यग्रह हो कब और कैसे और किशके द्वारा नेगोसिएशन करना हे और किस तरीके के विरोध का हमें रिजल्ट देना हे ये अंग्रेज लोग तय करते थे .
इस तरीके से अंग्रेजो ने हमारे लोगो को बताया की हम ( अंग्रेज ) किनकी बात सुनते हे और हमारा ( भारतीय ) नेता कोन होना चाहिए
अंग्रेजो ने स्ट्रेटेजी बनायीं थी की हम कमजोर नेता और कमजोर स्ट्रेटेजी के जरिए भारत की आजादी को जितना पीछे ढकेल सके उतना धकेलेंगे .और कमजोर नेता और कमजोर नेता की कायर नेगोशिएशन स्ट्रेटेजी से हम भारत के जितने संसाधन को लुट कर ले जा सके उतना ब्रिटिश इकोनॉमी के लिए अच्छा हे .
संसाधन example : ( Gold, Other Metal , कपास etc...)
नेता जी सुभास चंद्रा बोस ने पूरी आर्मी बनालिथि , और उन्हें ११ देश ने सपोर्ट किया था . लेकिन 18 August 1945 में उनकी मोत करवा दी गयी . हमें आज़ादी लेनी थी ,ले किन अंग्रेजो को आज़ादी देनी थी वो भी उनकी कंडीशन पर .
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कई बार दुश्मन हमारे माइंड और स्ट्रेटेजी को डिसाइड करवाता हे
इसी तरह से , आप पूरी दुनिया ने इतिहास में और वर्तमान में देख लीजिए
राम मंदिर के केस में ५०० साल तक कोई कुछ नहीं बोलै लेकिन , जैसे ही ऐसा लगने लगा की फेशला आने वाला हे की
कुछ जेहादी हमारे पक्ष में अच्छा अच्छा बोलने लगे , और ये साबित करने लगे की जैसे हम भी पहले से यही कह रहे थे और अभी भी यही सोच रहे थे , और सभी जेहादी ख़राब नहीं होते वाला असत्य को फैलाने लगते हे
और अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए और वडापाव या फ्री की आधी जूठी बिरयानी में बिकजाने वाले लोग
के मुह से पर्सन टू पर्सन माऊथ मार्केटिंग करवाते हे की , कुछ चाँद लोगो की वजह से पूरी कॉम को बदनाम करते हे
हकीकत में ये लोग अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए हे यतो फिर बिकाऊ भी हो सकते हे - ( और ये बात इन्हे खुद को पता हो या नाभि हो ऐसा हो सकता हे ) क्युकी अपने आपसे ही बहोत लम्बे टाइम से ये जूठा जुठ बॉल रहे होते हे ) और कायर ता इनके रगो में होती हे
इन्होने पहले से ही अपने अजु बाजु जेहादी ओ को पाल पॉश कर रखा होता हे और उन्हें इन जिहादी ओ से कुछ छोटा मोटा बिज़नेस मिलता हे , ये बिकाऊ लोग अपने थोड़े से पेसो के लिए खुले में सभी लोगो के सामने भी जेहादी और असत्य वचनो और अधर्मो को डिफेंड करते हे
मेने ये भी देखा हे की ये बिकाऊ लोग और अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए लोग जब पूरी तरह से एक्सपोस हो जाते हे तोभी ये बिकाऊ लोग उनको डिफेंड करेंगे यातो फिर उनके ऊपर कोई जवाब ही नहीं देंगे या तो फिर उन बातों से दूर भागेंगे , लेकिन ये अपनी गलती कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और नहीं जेहादी को गाली देंगे
यहाँ तक की टेरर अटैक में सजाये मोत दी जा चुकी हो ऐसे जेहादी के लिए रैली निकालेन्गे और उनके लिए वकील रखेंगे और united nations में जाकर मानवता का रोना रोते हे , हकीकत में ये मुर्ख लोगो को अपने १०० फुट की दुरी में बरसो से पडी हुयी चीजों के बारेमे भी पता नहीं होता हे , लेकिन अज्ञानता के अहंकार में ये बाते मानवता ,धर्म , अर्थव्यवस्था, एडयुकेशन सीस्टम की करते हे
आलू पूरी की लारी खोलने की औकात नही है वो लोग आज - आर्मी - अर्थव्यवस्था - एडयुकेशन सीस्टम - अमेरिका - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खामी निकाल रहे हे . और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अभिप्राइ देते रहते है
ये सेक्युलर और अज्ञानता अहंकारी जमात के लोग जेहादी को इतना डिफेंड कर चुके हे की जेहादी ख़ुद सुसाइड बॉम्बर बन कर उनके ही देश में फट जाये और CCtv रिकॉर्ड में में भी आजाये ,तो भी ये अहंकारी कहेंगे की वीडियो आर्टिफीसियल इंटेलिजन से बनाया हे .और इन्हे आप तुरंत ही पूछो की आर्टिफीसियल इंटेलिजन हे क्या तो वो दुम दबा कर भाग जाएँ गए.
हमेशा से ही दुश्मन के पक्ष में कुछ हमारे लोग रख ना , पीछे से वार करना और असल मे शत्रु बोध ना करवाना ये गजवा ऐ हिन्द और सारे जेहादी ग्रुप की टस्ट्रेटेजी हे
हमारे बारे मे अगर कोई जेहादी ४ पेज अच्छे अच्छे लिख दे या पढ़ ले तो हमें खुश होकर उसकी चापलूसी नहीं करनी चाहिए
हमें जेहादी ओ की खुशामत खोरी की कोई जरूरत नहीं हे .
अगर कोई जेहादी जेहादी धर्म को त्याग कर कर , मानवता वादी धर्म स्वीकार करता हे तो उन्हें नार्मल की तरह ही ट्रीट करे , उन्हें ज्यादा मान सन्मान दे कर स्टेज पर ले जाकर उशकी साप्लुसी करने की कोई जरुरत नहीं हे
हमारे यहाँ अगर कोई इंसान नशा करता हे और बादमे नशा करना बन्ध करता हे तो लोगो ऐसे नसेड़ी को कुछ ज्यादा ही सन्मान देने लगते हे। . नशा करना बन्ध कर दिया इस बात के लिए उस की प्रसंशा होनी चाहिए , लेकिन - अभी तो वो एके नार्मल इंसान बना हे जो बाय डिफ़ॉल्ट सब होते हे ऐसे में उसकी ज्यादा प्रशंसा करके नेता नहीं बनाना चाहिए। उस से ज्ञानी का आगे बढ़ ने में रूकावट अति हे और कम गुणवत्ता के पर्सन ( लोग ) समाज में नेता और लीडर और मैनेजमेंट करता बन जाते हे
हमें जिहादियों से रक्षा नहीं करनी हे हमें अब जिहादियों पर आक्रमण कर ना हे , ये मानसिकता लानी हे , उठो - जागो मानवतावादी ओ . सबसे बडा हथियार नॉलेज है शस्त्र का ज्ञान और शस्त्र चलाने की मानसिकता होनी चाहिए और शत्रु बोध होना ही चाहिए #Nationalist #philosophie #दार्शनिक
Tuesday, 2 February 2021
सेकुलरिस्म भी एक मैसेज की ही राजनीति है
Pakishtan Area 796,095 km²
Bangladesh Area 148,460 km²
Tibet Area 1.228 million km²
Afghanistan 652,860 km²
Hindu Minority Status: 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए सुप्रीम गुहार
- याचिका में कहा गया कि लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्यद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिंदू अल्पसंख्यक हैं
ऊपर दिए गए सभी एरिया Pakishtan,Bangladesh,Tibet,Afghanistan सभी गवा दिए
और उनमें से भी पाकिस्तान और बांग्लादेश की स्थापना ही जिहाद के बुनियाद पर हुई हे .फिर भी हमारे नेता कोई हमारी हस्ती मिटा नहीं सकता बोलते बोलते अज्ञानता के अहंकार में बहोत बड़ी बड़ी फेंकते रहते हे। और हमारे बेकार नौजवान अहंकार और बड़ाई का नशा करते हे। हमारे नौजवान को कुछ भी पूछो वो दस हजार साल पहले जो हमारी सिविलाइज़ेशन थी उस की बड़ाई हाकने में से बहार नहीं आते ., सिविलाइज़ेशन में भी दो लाइन से ज्यादा कुछ पूछ ले तो उन्हें कुछ पता नहीं होता .
Thursday, 26 November 2020
असत्य और अधर्म के खिलाफ बोलना सीखें
धर्म = जो धारण करने योग्य हो
धर्म:-प्रेम और त्याग पर आधारित होता है, मनुष्य और प्रकृति के सुगम विकास का माध्यम है praman and other characteristics of dharm
( Example : sanatan dharma, jain , buddhism,Ājīvika )
Religion:- प्रकृति को महत्व न देते हुए मनुष्य के स्वार्थ पूर्ति का माध्यम है।
मजहब:- अय्याशी करने गुलाम बनाने,तलवार की नोक पर जबरजस्ती ,थोपा गया, मानसिक विकृति, और प्रकृति के लिए विनाशकारी। (example : Islam)
10 characteristics of dharma:
Sanskrit: मनुस्मृति ( Manusmṛiti ) 1. Dhrti(patience) 2. Ks’ama(forgiveness) 3. Dhama(self-control) 4. Asteya(non-stealing) 5. Shaoca(cleanliness) 6. control over organs 7. Dhii (benevolent intellect) 8. knowledge 9. benevolent truthfulness 10. non-anger
Mahāyāna sūtras
1) generosity (dāna 2) morality (śīla 3) patience (kṣānti 4) vigor(vīrya) 5) concentration(dhyāna) 6) wisdom (prajñā) full Buddhahood (bodhisattva) additional perfections 7) skill-in-means(upāya-kauśalya 8) resolution(praṇidhāna 9) strength (bala) 10) knowledge(jñāna)
The major Jain text, Tattvartha Sutra mentions Das-dharma with the meaning of "ten righteous virtues". These are forbearance, modesty, straightforwardness, purity, truthfulness, self-restraint, austerity, renunciation, non-attachment, and celibacy.
वृषो हि भगवान्धर्मस्तस्य यः कुरुते ह्यलम् । वृषलं तं
विदुर्देवास्तस्माद्धर्मं न लोपयेत्
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्
यत्र धर्मो ह्यधर्मेण सत्यं यत्रानृतेन च । हन्यते प्रेक्षमाणानां हतास्तत्र सभासदः ।
Wednesday, 25 November 2020
गायों के लिए जान लेने से भी नहीं हिचकती है अफ्रीका की मुंदरी जनजाति
गायों के लिए जान लेने से भी नहीं हिचकती है अफ्रीका की "मुंदरी_जनजाति", AK_47 राइफल से रात-दिन करते हैं रक्षा:*
*अफ्रीका के सूडान की मुंदरी जनजाति का जीवन गायों के इर्द-गिर्द ही घूमता है। ये लोग गायों के दूध, गोमूत्र, गोबर हर चीज का इस्तेमाल करते हैं और गायों के लिए किसी की जान ले भी सकते हैं और अपनी जान दे भी सकते हैं।*
*अफ्रीका में रहने वाली जनजातियों के जीवन में गायों का महत्व बहुत ज्यादा होता है लेकिन सूडान की एक जनजाति ऐसी है जो इनके लिए जान दे भी सकती है और जान ले भी सकती है। पिछले 11 साल से तंजानिया में कार्यरत जियोफिजिसिस्ट रत्नेश पांडे ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के लिए शताक्षी अस्थाना से बातचीत में बताया है कि दक्षिण सूडान देश में रहने वाली मुंदरी जनजाति के लिए गाय का होना कैसे जीवन के समान है। गाय के बिना उनकी जिंदगी मृतक के समान होती है। "मुंदरी जनजाति" के लिए गायें कीमती होती हैं। यही नहीं, ये मुंदरी जनजाति के लिए चलते-फिरते दवा और पैसों का भंडार हैं और दोस्त जैसी भी हैं। मुंदरी अपने मवेशियों के साथ ही सोते हैं और बंदूक की नोक पर इनकी रक्षा करते हैं।*
*कौन होते हैं मुंदरी?*
*मुंदरी दक्षिण सूडान का एक छोटा सा जातीय समूह है। मुंदरी आदिवासी की मुख्य भूमि दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से लगभग 75 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। मुंदरी एक चरवाहे के रूप में अपना जीवन जीते हैं। इनके लिए अपने प्राणों से बढ़कर अपने मवेशियों की देखरेख है। मुंदरी लोग गाय को "अंकोले-वातुसी" कहते हैं। मुंदरी लोगों की जान गायों में बसती है। मुंदरी लोग गायों को 'मवेशियों का राजा' मानते हैं। इनकी गायों की उचाई सात से आठ फुट तक ऊंची होती हैं और इनकी कीमत भारतीय रुपये में करीब चालीस हजार के आसपास होती है। इनकी गायों की कीमत से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आखिर मुंदरी के लिए ये जानवर इतने कीमती क्यों हैं।*
*गायों के लिए हत्या से भी गुरेज नहीं*
*मुंदरी जनजाति के लिए उनके जानवर, विशेषकर गाय ही सब कुछ हैं। मुंदरी गायों की हत्या को सबसे बड़ा पाप मानते हैं। इस कारण शायद ही कभी इस समुदाय में गायों की हत्या हुई है। ये जानवर मुंदरी के लिए एक "स्टेटस सिंबल" हैं। वे दहेज के रूप में भी इनका इस्तेमाल करते हैं। मुंदरी अपने गायों की रक्षा के लिए अपनी जान भी देते हैं और दूसरे की जान ले भी लेते हैं। इस समुदाय में बच्चे और बड़े दोनों गायों की देखभाल करते हैं। इन लोगों के लिए गायें ही सबकुछ है। ये लोग गायों को गर्मी से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार की भभूत लगाते हैं, गायों को पानी पिलाने के लि
Monday, 23 November 2020
Research Topic on covid 19 and contagious disease impact of a disruptive event
impact analysis is a detailed study of business activities, dependencies, and infrastructure. It reveals how critical products and services are delivered and examines the potential impact of a disruptive event over time.
• Vaccine technology- Vaccine development, efficacy and safety evaluation- Immune responses to vaccines- Vaccine vectors, adjuvants and immunomodulators- Vaccine production and manufacturing- Immunologic studies and animal models• Reverse vaccinology• Synthetic peptides and novel immunogens• Protein modeling
The raw materials are expensive. Side effects can be troubling. And distribution currently requires a costly cold chain — the Pfizer–BioNTech COVID-19 vaccine, for example, must be stored at −70 °C. The urgency of COVID-19 is likely to speed up progress on some of those problems
24 ) COVID-19 & the 'Dharavi Model
25 ) testing & treating patients, quarantining suspected persons through contact tracing, restricting large gatherings, maintaining complete or partial lock down affects on society, global environment and global economy
Friday, 20 November 2020
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Saturday, 14 November 2020
अधर्म पर जीत के योद्धाओं के स्वागत का पर्व दीपावली
अधर्म पर जीत के योद्धाओं के स्वागत का पर्व
#दीपावली
14 सालों तक लगातार अधर्मियों से युद्ध करने और उनका वध करने के बाद, संतों - महात्माओं, ऋषि -मुनियों के साथ - साथ शहरी नागरिकों से लेकर वनवासियों और वन जीवों तक को आजीवन सुरक्षा का वादा करने के बाद, केवल समुद्र पर पुल ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से अलग -थलग हुए इस भरत भूमि के वासियों को परस्पर जोड़ने के बाद, उस समय के सृष्टि के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर आतंकी के सामने युद्ध की हुँकार भरने की क्षमता एक नन्हें गिलहरी से लेकर निरीह वन्यजीवों में भी भर देने के बाद, अपने कार्य को पूर्ण करने में सामने आने वाली अनगिनत बाधाओं में भी धैर्य की पराकाष्ठा को अपने साथ - अपने अनुयायियों में भी रखने की कला उत्पन्न करने के बाद, स्त्री अपमान और साधु - संतों की हत्या से रंगे प्रत्येक हाथ को मौत के घाट उतारने के बाद, अधर्मी शत्रु को ही नहीं उसके पूरे वंश के समूल नाश के बाद, जब राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान "श्री राम" बनकर, अधर्म पर धर्म की जीत स्थापित करके वापस अपनी पूरी सेना लेकर अयोध्या लौटे तब उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर में दीप प्रज्वलित करके उनका स्वागत किया और इसी तरह ये परंपरा आज भी चली आ रही है ।
अधर्मी , आतंकवादी, जेहादी , संत - साधुओं के हत्यारे, बलात्कारी, धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाने वाले, व्यासपीठ पर बैठकर अधर्मियों का गुणगान गाने वाले, कालनेमि, दुर्गा पूजा पंडाल को काले चादर से ढकने वाले, राम भक्तों पर गोलियां चलाने वाले, गरीबों के हक का लूटने वाले और न जाने कितने ही रावण, मेघनाथ, सूपनखा, मारीच, ताड़का, आज भी हैं, वो आज भी आम व्यक्ति की ही तरह दिखते हैं, तब भी वैसे ही थे । ना कि जैसा आपने बचपन से टीवी में या फिल्मों में देखा है ।
राक्षस जाती या एक प्रवृति होती है,जेहादी जीवन जीने की एके फिलोसोफी हे , और ये फिलोसोफी लोग अज्ञानता के अहंकार में जीते हे ,या तो फिर जान बूझ कर जीते हे , या तो फिर वो कोई षडयंत्र का शिकार होते हे , जिसे आपको पहचानना होगा, और समय रहते या तो प्रतिकार करना होगा या जो भी इन अधर्मियों से लड़ाई लड़ रहे हैं उनका साथ देना होगा, अगर आप जामवंत जैसी या नल - नील जैसी ताकत रखते हैं तो उसी तरह किसी राम का साथ दीजिये, परंतु अगर आप एक नन्हीं गिलहरी से हैं तो उसी रूप में धर्म की लड़ाई लड़ने वालों का साथ दीजिये ।
एक बात याद रखिये अगर रावण उस काल में था तो राम भी थे, और यही बात प्रत्येक काल में होती है, आज भी अनेकों राम हैं जो अधर्म से धर्म युद्ध कर रहे हैं, जानना पहचानना आपका दायित्व है ।
आप तो दीपावली के स्थान पर "दीवाली" लिखकर और अंग्रेजी में "Happy Diwali" एक दूसरे को भेजकर, अच्छे पकवान खाकर ( कुछ अज्ञानी के लिए kfc chicken भी पकवान है इन्हे ये भी नहीं पता की क्या अच्छा हे और अच्छा हे के नहीं वो किसी प्रमाण के आधार पर चेक किया जाये . इन के लिए अच्छे का मतलब उन्हे जो अच्छा लगा वो अच्छा हो गया । ) , छुट्टी मनाकर परिवार और अपनों के साथ "मनोरंजन ( जेहादी बॉलीवुड टाइप मनोरंजन ) " को ही त्योहार मान बैठे हैं । दोष आपका भी नहीं आपकी पिछली पीढ़ियों का है जिसने सनातन के त्योहारों को उनके असली ज्ञान और स्वरूप में नई पीढ़ी तक नहीं पहुँचाया, मैंने तो आप सबतक पहुँचाने की एक छोटी कोशिश की है, थोड़ा प्रयास आप भी करें । वरना आने वाली पीढियां भी हमें दोष देंगीं ।
आशा करता हूँ दीपावली के सही अर्थ को समझते हुए, अधर्म के विरुद्ध अपने योगदान को सुनिश्चित करके इस बार दीपावली मनाएंगी/मनाएंगे ।