मोहम्मद हामिद अंसारी ने रिटायरमेंट के समय जो कहा था उश्से विपरीत बात गुलाम नबी आजाद से बीजेपी ने बुलवाया और ये साबित करने की कोसिस की की सभी जेहादी बुरे नहीं होते और एके बार फिर पोलिटिकल करेक्टनेस और सेकुलरिस्म की मेसेज की राजनिति कर के देश की जनता को कन्फूस किया हे . ( गुलाम नबी आजाद के लिए मोदीजी ने आँसू बहकर बहोत बड़ी गलती करदी हे ) जिनका धर्म मानवता का दुश्मन हे , जिनका आचारन पूरी जिंदगी नेचर और एनिमल्स (प्राणी, जंतु ,पशु ) के विरुद्ध हे उनके लिए असू बहाना व्यर्थ हे
मोहम्मद हामिद अंसारी हो या गुलाम नबी आजाद ये दोनों गजवाये हिन्द के लिए ही काम कर रहेहे इस लिए किसी भी तकरीके से गुण गान करना बंद करना होगा
गुलाम नबी आजाद ने अभी भी मोहम्मद हामिद अंसारी को गलत नहीं कहा हे , उशने सिर्फ एके बयान बाजी की हे हमारे लोग ही उस का मतलब किनक ने में लगे हे . हमारे लोग जरासी वाह वाही में बहोत उड़ने लगते हे . अगर कोई जेहादी राम मंदिर के लिए १०० रूपया डोनेट करता हे तो उसे वही पर कहदो की OK .
उस की प्रशंसा करके उसका मार्केटिंग मत करने लगो . हमारे अज्ञानी लोग जेहादी के १०० रूपया के डोनेशन में पूरी जिंदगी उसका सेल्स एंड मार्केटिंग की जॉब करने लगजाते हे
और राष्ट्रवादी और अखंड भारत के निर्माण के लिए जोभी काम कर रहा हो ऐसे हरेक व्यक्ति को ये बात हमेसा याद रखनी चाहिए
योगी आदित्यनाथ , अमित शाह , नरेंद्र मोदी जैसे नेता हमें २१ मि सदी में पहली बार मिले हे , ये बात अच्छी हे
लेकिन राष्ट्रवादी और अखंड भारत के निर्माण के लिए जोभी काम कर रहा हो उसे व्यक्ति पूजा और फेन फोल्लोविंग से ऊपर उठाना होगा . संवैधानिक गरिमा और इंटरनेशनल और इंटरनल पॉलिटिकल हालत के चलते हमारे नेता पलिटिकल करेक्टनेस और सेकुलरिस्म की मेसेज की राजनीती करते हे ऐसा हो सकता हे लेकिन आइडियोलॉजी ही सेकुलर हो ऐसा भी हो सकता हे ये सिर्फ जेहादी ओ को ही नहीं राष्ट्रवादी ओ को भी कन्फूस करते हे , ये कभी भी एके तरफ़ा झुकाव नहीं रखते , दोनों तरफ से बाते करते हे असल में इनके विचार ही ऐसे हे या इनकी ये पोलिटिकल स्ट्रेटेजी हे ये तो भविष्य ही बताएगा , लेकिन हमें सभी को शक के दायरे में लेकर ही चलना हे
Dialectic मेथड से हमें सभी परिस्थिति को देख नाहे और ,सिर्फ विश्वास के भरोसे नहीं रहना हे
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ऐतिहासिक उदाहरण :
ब्रिटिश ( अंग्रेज ) लोग १९३८ से ही जान गए थे की अब १० साला से ज्यादा हम भारत पर राज नहीं करपायेंगे
अंग्रेज लोग ये जानते थे की अगर भारत ने शस्त्र का इस्तेमाल करके स्वराज की मांग चालू कर दी तो ५ साल भी भारत उनके हाथो में नहीं रहने वाला
1938 से 1945 तक हिटलर ने ब्रिटिश को इतना नुकसान करवाया था की अब ब्रिटिश की हालत , शस्त्र स्वराज की मांग को रोक ने के लिए सक्षम नहीं थी
शस्त्र संग्राम होता तो ब्रिटिश वैसे ही भारत को छोड़ कर चले जाते ऐसा नहीं है , वे शस्त्र संग्राम को बेहद क्रूर तरीके से कुचल ने की कोसीस करते , लेकिन उन्हें पता था की अगर लम्बे टाइम के लिए ये चला तो फिर उन्हें यहा से जल्दी से खाली हाथ लौटना पड़ता
इस लिए उन्होंने १ कमजोर नेता और कायरता की पोलिटिकल स्ट्रेटेजी को बढ़ावा दिया
जब भी कोई आंदोलन हो या सत्यग्रह हो कब और कैसे और किशके द्वारा नेगोसिएशन करना हे और किस तरीके के विरोध का हमें रिजल्ट देना हे ये अंग्रेज लोग तय करते थे .
इस तरीके से अंग्रेजो ने हमारे लोगो को बताया की हम ( अंग्रेज ) किनकी बात सुनते हे और हमारा ( भारतीय ) नेता कोन होना चाहिए
अंग्रेजो ने स्ट्रेटेजी बनायीं थी की हम कमजोर नेता और कमजोर स्ट्रेटेजी के जरिए भारत की आजादी को जितना पीछे ढकेल सके उतना धकेलेंगे .और कमजोर नेता और कमजोर नेता की कायर नेगोशिएशन स्ट्रेटेजी से हम भारत के जितने संसाधन को लुट कर ले जा सके उतना ब्रिटिश इकोनॉमी के लिए अच्छा हे .
संसाधन example : ( Gold, Other Metal , कपास etc...)
नेता जी सुभास चंद्रा बोस ने पूरी आर्मी बनालिथि , और उन्हें ११ देश ने सपोर्ट किया था . लेकिन 18 August 1945 में उनकी मोत करवा दी गयी . हमें आज़ादी लेनी थी ,ले किन अंग्रेजो को आज़ादी देनी थी वो भी उनकी कंडीशन पर .
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कई बार दुश्मन हमारे माइंड और स्ट्रेटेजी को डिसाइड करवाता हे
इसी तरह से , आप पूरी दुनिया ने इतिहास में और वर्तमान में देख लीजिए
राम मंदिर के केस में ५०० साल तक कोई कुछ नहीं बोलै लेकिन , जैसे ही ऐसा लगने लगा की फेशला आने वाला हे की
कुछ जेहादी हमारे पक्ष में अच्छा अच्छा बोलने लगे , और ये साबित करने लगे की जैसे हम भी पहले से यही कह रहे थे और अभी भी यही सोच रहे थे , और सभी जेहादी ख़राब नहीं होते वाला असत्य को फैलाने लगते हे
और अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए और वडापाव या फ्री की आधी जूठी बिरयानी में बिकजाने वाले लोग
के मुह से पर्सन टू पर्सन माऊथ मार्केटिंग करवाते हे की , कुछ चाँद लोगो की वजह से पूरी कॉम को बदनाम करते हे
हकीकत में ये लोग अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए हे यतो फिर बिकाऊ भी हो सकते हे - ( और ये बात इन्हे खुद को पता हो या नाभि हो ऐसा हो सकता हे ) क्युकी अपने आपसे ही बहोत लम्बे टाइम से ये जूठा जुठ बॉल रहे होते हे ) और कायर ता इनके रगो में होती हे
इन्होने पहले से ही अपने अजु बाजु जेहादी ओ को पाल पॉश कर रखा होता हे और उन्हें इन जिहादी ओ से कुछ छोटा मोटा बिज़नेस मिलता हे , ये बिकाऊ लोग अपने थोड़े से पेसो के लिए खुले में सभी लोगो के सामने भी जेहादी और असत्य वचनो और अधर्मो को डिफेंड करते हे
मेने ये भी देखा हे की ये बिकाऊ लोग और अज्ञानता के अहंकार में दुबे हुए लोग जब पूरी तरह से एक्सपोस हो जाते हे तोभी ये बिकाऊ लोग उनको डिफेंड करेंगे यातो फिर उनके ऊपर कोई जवाब ही नहीं देंगे या तो फिर उन बातों से दूर भागेंगे , लेकिन ये अपनी गलती कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और नहीं जेहादी को गाली देंगे
यहाँ तक की टेरर अटैक में सजाये मोत दी जा चुकी हो ऐसे जेहादी के लिए रैली निकालेन्गे और उनके लिए वकील रखेंगे और united nations में जाकर मानवता का रोना रोते हे , हकीकत में ये मुर्ख लोगो को अपने १०० फुट की दुरी में बरसो से पडी हुयी चीजों के बारेमे भी पता नहीं होता हे , लेकिन अज्ञानता के अहंकार में ये बाते मानवता ,धर्म , अर्थव्यवस्था, एडयुकेशन सीस्टम की करते हे
आलू पूरी की लारी खोलने की औकात नही है वो लोग आज - आर्मी - अर्थव्यवस्था - एडयुकेशन सीस्टम - अमेरिका - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खामी निकाल रहे हे . और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अभिप्राइ देते रहते है
ये सेक्युलर और अज्ञानता अहंकारी जमात के लोग जेहादी को इतना डिफेंड कर चुके हे की जेहादी ख़ुद सुसाइड बॉम्बर बन कर उनके ही देश में फट जाये और CCtv रिकॉर्ड में में भी आजाये ,तो भी ये अहंकारी कहेंगे की वीडियो आर्टिफीसियल इंटेलिजन से बनाया हे .और इन्हे आप तुरंत ही पूछो की आर्टिफीसियल इंटेलिजन हे क्या तो वो दुम दबा कर भाग जाएँ गए.
हमेशा से ही दुश्मन के पक्ष में कुछ हमारे लोग रख ना , पीछे से वार करना और असल मे शत्रु बोध ना करवाना ये गजवा ऐ हिन्द और सारे जेहादी ग्रुप की टस्ट्रेटेजी हे
हमारे बारे मे अगर कोई जेहादी ४ पेज अच्छे अच्छे लिख दे या पढ़ ले तो हमें खुश होकर उसकी चापलूसी नहीं करनी चाहिए
हमें जेहादी ओ की खुशामत खोरी की कोई जरूरत नहीं हे .
अगर कोई जेहादी जेहादी धर्म को त्याग कर कर , मानवता वादी धर्म स्वीकार करता हे तो उन्हें नार्मल की तरह ही ट्रीट करे , उन्हें ज्यादा मान सन्मान दे कर स्टेज पर ले जाकर उशकी साप्लुसी करने की कोई जरुरत नहीं हे
हमारे यहाँ अगर कोई इंसान नशा करता हे और बादमे नशा करना बन्ध करता हे तो लोगो ऐसे नसेड़ी को कुछ ज्यादा ही सन्मान देने लगते हे। . नशा करना बन्ध कर दिया इस बात के लिए उस की प्रसंशा होनी चाहिए , लेकिन - अभी तो वो एके नार्मल इंसान बना हे जो बाय डिफ़ॉल्ट सब होते हे ऐसे में उसकी ज्यादा प्रशंसा करके नेता नहीं बनाना चाहिए। उस से ज्ञानी का आगे बढ़ ने में रूकावट अति हे और कम गुणवत्ता के पर्सन ( लोग ) समाज में नेता और लीडर और मैनेजमेंट करता बन जाते हे
हमें जिहादियों से रक्षा नहीं करनी हे हमें अब जिहादियों पर आक्रमण कर ना हे , ये मानसिकता लानी हे , उठो - जागो मानवतावादी ओ . सबसे बडा हथियार नॉलेज है शस्त्र का ज्ञान और शस्त्र चलाने की मानसिकता होनी चाहिए और शत्रु बोध होना ही चाहिए #Nationalist #philosophie #दार्शनिक
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