Saturday, 14 November 2020

अधर्म पर जीत के योद्धाओं के स्वागत का पर्व दीपावली

अधर्म पर जीत के योद्धाओं के स्वागत का पर्व

#दीपावली

14 सालों तक लगातार अधर्मियों से युद्ध करने और उनका वध करने के बाद, संतों - महात्माओं, ऋषि -मुनियों के साथ - साथ शहरी नागरिकों से लेकर वनवासियों और वन जीवों तक को आजीवन सुरक्षा का वादा करने के बाद, केवल समुद्र पर पुल ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से अलग -थलग हुए इस भरत भूमि के वासियों को परस्पर जोड़ने के बाद, उस समय के सृष्टि के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर आतंकी के सामने युद्ध की हुँकार भरने की क्षमता एक नन्हें गिलहरी से लेकर निरीह वन्यजीवों में भी भर देने के बाद, अपने कार्य को पूर्ण करने में सामने आने वाली अनगिनत बाधाओं में भी धैर्य की पराकाष्ठा को अपने साथ - अपने अनुयायियों में भी रखने की कला उत्पन्न करने के बाद, स्त्री अपमान और साधु - संतों की हत्या से रंगे प्रत्येक हाथ को मौत के घाट उतारने के बाद, अधर्मी शत्रु को ही नहीं उसके पूरे वंश के समूल नाश के बाद, जब राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान "श्री राम" बनकर, अधर्म पर धर्म की जीत स्थापित करके वापस अपनी पूरी सेना लेकर अयोध्या लौटे तब उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर में दीप प्रज्वलित करके उनका स्वागत किया और इसी तरह ये परंपरा आज भी चली आ रही है ।

अधर्मी , आतंकवादी, जेहादी , संत - साधुओं के हत्यारे, बलात्कारी, धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाने वाले, व्यासपीठ पर बैठकर अधर्मियों का गुणगान गाने वाले, कालनेमि, दुर्गा पूजा पंडाल को काले चादर से ढकने वाले, राम भक्तों पर गोलियां चलाने वाले, गरीबों के हक का लूटने वाले और न जाने कितने ही रावण, मेघनाथ, सूपनखा, मारीच, ताड़का, आज भी हैं, वो आज भी आम व्यक्ति की ही तरह दिखते हैं, तब भी वैसे ही थे । ना कि जैसा आपने बचपन से टीवी में या फिल्मों में देखा है ।

राक्षस जाती या एक प्रवृति होती है,जेहादी जीवन जीने की एके फिलोसोफी हे , और ये फिलोसोफी लोग अज्ञानता के अहंकार में जीते हे ,या तो फिर जान बूझ कर जीते हे , या तो फिर वो कोई षडयंत्र का शिकार होते हे , जिसे आपको पहचानना होगा, और समय रहते या तो प्रतिकार करना होगा या जो भी इन अधर्मियों से लड़ाई लड़ रहे हैं उनका साथ देना होगा, अगर आप जामवंत जैसी या नल - नील जैसी ताकत रखते हैं तो उसी तरह किसी राम का साथ दीजिये, परंतु अगर आप एक नन्हीं गिलहरी से हैं तो उसी रूप में धर्म की लड़ाई लड़ने वालों का साथ दीजिये ।

एक बात याद रखिये अगर रावण उस काल में था तो राम भी थे, और यही बात प्रत्येक काल में होती है, आज भी अनेकों राम हैं जो अधर्म से धर्म युद्ध कर रहे हैं, जानना पहचानना आपका दायित्व है ।

आप तो दीपावली के स्थान पर "दीवाली" लिखकर और अंग्रेजी में "Happy Diwali" एक दूसरे को भेजकर, अच्छे पकवान खाकर ( कुछ अज्ञानी के लिए kfc chicken भी पकवान है इन्हे ये भी नहीं पता की क्या अच्छा हे और अच्छा हे के नहीं वो किसी प्रमाण के आधार पर चेक किया जाये . इन के लिए अच्छे का मतलब उन्हे जो अच्छा लगा वो अच्छा हो गया । ) , छुट्टी मनाकर परिवार और अपनों के साथ "मनोरंजन ( जेहादी बॉलीवुड टाइप मनोरंजन ) " को ही त्योहार मान बैठे हैं । दोष आपका भी नहीं आपकी पिछली पीढ़ियों का है जिसने सनातन के त्योहारों को उनके असली ज्ञान और स्वरूप में नई पीढ़ी तक नहीं पहुँचाया, मैंने तो आप सबतक पहुँचाने की एक छोटी कोशिश की है, थोड़ा प्रयास आप भी करें । वरना आने वाली पीढियां भी हमें दोष देंगीं ।

आशा करता हूँ दीपावली के सही अर्थ को समझते हुए, अधर्म के विरुद्ध अपने योगदान को सुनिश्चित करके इस बार दीपावली मनाएंगी/मनाएंगे ।



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