Wednesday, 11 December 2024

नई पीढ़ी के लोग जब अपने इतिहास, भौगोलिक मूल्यों और धर्म से लंबे समय तक 100% डिसकनेक्ट हो जाते हैं, तो क्या होता है?

 नई पीढ़ी के लोग जब अपने इतिहास, भौगोलिक मूल्यों और धर्म से लंबे समय तक 100% डिसकनेक्ट हो जाते हैं, तो क्या होता है?

वे स्वयं ही अपने आप के दुश्मन बन जाते हैं।

मूल धर्म सत्य और असत्य है। अगर आपको दिख रहा है कि आपके पूर्वज 100% खराब और बुरे ही थे और उनके द्वारा बनाए गए सभी ढांचे 100% खराब ही हैं, तो आपको नई और अच्छी सोच को अपनाना चाहिए। लेकिन मानव अपने बचपन से सिखाए गए ढांचे को छोड़ने का साहस नहीं कर पाता। और हमारे निष्क्रिय और कायर अच्छे लोगों ने बुरे लोगों को 100% समाप्त भी नहीं किया, यह भी एक बहुत बड़ी गलती है।

आज जो भी बुरे लोग हैं, वे जन्म से ही बुरे लोगों की संतान हैं। उनका पूरा वातावरण, शिक्षा और आदर्श लोग ही सबसे बुरे हैं। ऐसे मामलों में, वे अपने आप में एक बुरा जानवर हैं। अब कोई भी जानवर अपने आप को तर्कपूर्ण रूप से बुरा कैसे स्वीकार करेगा?

यह तो ऐसा ही उदाहरण है कि हम सुअर को बुरा कहते हैं और चाहते हैं कि सुअर खुद स्वीकार करे कि "हाँ, मैं गटर में रहता हूँ, तो मैं खराब हूँ।" जबकि कीचड़ में रहना तो उसके लिए फायदेमंद है और वही उसका डिफॉल्ट नेचर है।

हमने लंबे समय तक बुरे लोगों को पनपने दिया, और बुराई पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित भी रही और और भी मजबूत होती गई। अब यह एक पूरी नई खराब प्रजाति जैसी बन गई है। आप इन्हें सुधारना नामुमकिन है। इनके आदर्श, इनकी किताबें, इनकी सभी चीजें मानवता और हिंदुओं (सनातनियों) से 100% विपरीत हैं।

यह तो बात हो गई जिहादी कौम की।

चलो, मैं आपको मेरे ही जीवन में देखा हुआ एक उदाहरण देता हूँ।

मैं एक यूके की कंपनी में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रूप में फ्रीलांस डेवलपर था। मेरे साथ 30-40 और डेवलपर थे जो कि यूक्रेन के थे। जब 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तो वहाँ के 20-30 साल के युवा लोग Microsoft Teams और Slack पर रोने लगे थे और उस रिश्ते से सहानुभूति ले रहे थे।

जबकि सहानुभूति लेने से कुछ भी नहीं होने वाला। कई लोग यूक्रेन से भाग गए और पोलैंड और यूके में जाकर सेट हो गए। बाकी अभी भी जॉब कर रहे हैं।

अब मैं देख रहा हूँ कि पूरा देश बर्बाद हो रहा है और यूक्रेन के नौजवान $5 के लिए यूके की कंपनियों की वेबसाइट डिज़ाइन कर रहे हैं और पुतिन और रूस को गालियाँ दे रहे हैं। जबकि इन लोगों को NATO, यूक्रेन, रूस का कुछ भी इतिहास पता नहीं है।

वे पिछले 30 सालों से केवल पार्टी करने में लगे थे। अब इन्होंने एक कॉमेडियन को राष्ट्रपति बना दिया। कॉमेडियन किसी के बहकावे में आ गया या उसकी खुद की विचारधारा ये रही होगी कि NATO में शामिल हो जाएँ।

अब ये अमेरिका ने किया, कॉमेडियन ने किया, NATO ने किया, या फिर यूक्रेन के ये पार्टी करने वाले लोगों ने किया। जो भी कहो, लेकिन रूस ने तो उसका जवाब दे दिया।

और अब ये लोग लड़ने की जगह ब्लेम थ्योरी और सैलरी लेने बैठे हैं। ऐसी पीढ़ी चाहे कितनी भी संपत्ति क्यों न कमा ले, तीन पीढ़ियों से ज्यादा नहीं चलती। वे अपने आप समाप्त हो जाती हैं।

जब पीढ़ी को अपना भौगोलिक, दुश्मन और इतिहास पता नहीं होता, तो सब कुछ हो जाने के बाद भी वे न तो सत्य तक पहुँच सकते हैं और न ही कुछ कर सकते हैं। उनका तर्कसंगत रूप से पतन तय हो चुका होता है।

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