पूंजीवाद बनाम समाजवाद: डॉ. मिल्टन फ्रीडमैन और जॉन गॉल्ट की दृष्टि से
समाज, नैतिकता, अर्थशास्त्र और स्वतंत्रता पर दो महान विचारकों—डॉ. मिल्टन फ्रीडमैन और जॉन गॉल्ट (एटलस श्रग्ड)—की दृष्टियों को समझना आज के संदर्भ में अत्यंत आवश्यक है। ये दोनों विचारधाराएँ हमें बताते हैं कि कैसे संसाधनों का उपयोग, स्वतंत्रता, और व्यक्तिगत अधिकार समाज की नींव को परिभाषित करते हैं।
चार तरीके पैसे खर्च करने के — डॉ. मिल्टन फ्रीडमैन की व्याख्या
डॉ. मिल्टन फ्रीडमैन ने अपने प्रसिद्ध भाषण में बताया कि पैसे खर्च करने के चार तरीके होते हैं:
1. जब आप अपना पैसा अपने ऊपर खर्च करते हैं
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आप हर चीज़ को जांचते हैं, मूल्य और गुणवत्ता का ध्यान रखते हैं।
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बेस्ट डील खोजते हैं, डिस्काउंट देखते हैं।
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खर्च और लाभ दोनों पर आपका नियंत्रण होता है।
2. जब आप अपना पैसा दूसरों के ऊपर खर्च करते हैं
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जैसे किसी को उपहार देना।
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आप खर्च की सीमा का ध्यान रखते हैं, लेकिन लाभ (जो सामने वाले को मिलेगा) पर कम ध्यान देते हैं।
3. जब आप दूसरों का पैसा अपने ऊपर खर्च करते हैं
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जैसे ऑफिस के खर्चे पर होटल का बिल देना।
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आप यह देखते हैं कि आपको क्या मिल रहा है, लेकिन आप कितने पैसे खर्च कर रहे हैं, यह नहीं देखते।
4. जब आप दूसरों का पैसा दूसरों पर खर्च करते हैं
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जैसे सरकार जब जनता का पैसा किसी वेलफेयर स्कीम पर खर्च करती है।
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ना खर्च का ध्यान होता है, ना प्राप्त परिणाम का।
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यहीं से संसाधनों की सबसे बड़ी बर्बादी शुरू होती है।
👉 निष्कर्ष:
समाजवाद की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें सबसे अधिक फैसले चौथे तरीके से होते हैं — जहाँ ना खर्च करने वाले को परवाह होती है, ना लाभ पाने वाले को मूल्य का अंदाज़ा। इसीलिए यह प्रणाली स्वभाविक रूप से अक्षम (inefficient) है और गरीबी तथा भ्रष्टाचार इसके अनिवार्य परिणाम हैं।
"एटलस श्रग्ड" और जॉन गॉल्ट का दर्शन: समाजवाद के खिलाफ विद्रोह
"एटलस श्रग्ड", अयन रैंड का प्रसिद्ध उपन्यास, इन सभी विचारों को एक दार्शनिक और साहित्यिक रूप में प्रस्तुत करता है। इसका केंद्रीय पात्र जॉन गॉल्ट है — एक विद्रोही, नवप्रवर्तक और समाज के शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने वाला व्यक्ति।
जॉन गॉल्ट कौन हैं?
"जॉन गॉल्ट कौन है?" यह सवाल उपन्यास की शुरुआत में समाज की निराशा और भ्रम को दर्शाता है। परंतु वह एक सशक्त प्रतीक बनकर उभरते हैं:
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एक महान आविष्कारक और विचारक
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ऑब्जेक्टिविज़्म (Objectivism) के प्रतिनिधि
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स्वतंत्रता, नवाचार और तर्क के समर्थक
जॉन गॉल्ट की विचारधारा के मुख्य स्तंभ
1. तर्कसंगत स्वार्थ (Rational Self-Interest)
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हर व्यक्ति को अपनी खुशी और उपलब्धियों का अधिकार है।
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बलिदान की नैतिकता को खारिज करते हैं।
2. उत्पादकता और नवाचार
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उत्पादक लोग ही समाज की रीढ़ हैं।
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मेहनत, तकनीक और रचनात्मकता सर्वोच्च हैं।
3. पूंजीवाद की नैतिकता
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पूंजीवाद ही ऐसा तंत्र है जो व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है।
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यह प्रणाली स्वतंत्र विनिमय और न्याय का प्रतीक है।
4. परोपकार का विरोध
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समाज की "सामूहिक भलाई" के नाम पर व्यक्तियों के अधिकारों का हनन स्वीकार्य नहीं है।
जॉन गॉल्ट की हड़ताल: दुनिया को रोकना
गॉल्ट दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली लोगों—विज्ञान, उद्योग और रचनात्मकता के नेताओं—से आग्रह करते हैं कि वे इस शोषणकारी समाज का साथ छोड़ दें।
उद्देश्य:
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यह दिखाना कि समाज उन्हीं पर टिका है जिन्हें वह लूट रहा है।
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जब उत्पादक लोग हटते हैं, तो समाज चरमरा जाता है।
जॉन गॉल्ट का रेडियो भाषण: एक विचारधारा का घोषणा-पत्र
यह भाषण Objectivism की आत्मा है:
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मनुष्य एक तर्कसंगत प्राणी है
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स्वार्थ एक नैतिक गुण है
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सामूहिकता समाज को नष्ट करती है
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वास्तविक स्वतंत्रता व्यक्तिगत अधिकारों से आती है
डॉ. फ्रीडमैन और जॉन गॉल्ट की एकजुट सोच
विषय | डॉ. मिल्टन फ्रीडमैन | जॉन गॉल्ट |
---|---|---|
संसाधनों की बर्बादी | सरकारी खर्च के चौथे प्रकार में होती है | सामूहिकता में होती है |
व्यक्तिगत अधिकार | सर्वोच्च माने जाते हैं | अधिकारों की नींव हैं |
समाजवाद की आलोचना | व्यावहारिक और आर्थिक रूप से | नैतिक और दार्शनिक रूप से |
समाधान | मुक्त बाजार और सीमित सरकार | पूंजीवाद और व्यक्तिगत स्वतंत्रता |
निष्कर्ष: क्यों पूंजीवाद ही समाधान है
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता किसी भी प्रगति की जड़ है।
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समाजवाद, चाहे जितना सुंदर दिखे, संसाधनों की बर्बादी और नैतिक पतन की ओर ले जाता है।
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डॉ. फ्रीडमैन हमें बताते हैं कि व्यवहारिक रूप से समाजवाद कैसे असफल होता है।
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जॉन गॉल्ट हमें दिखाते हैं कि नैतिक और दार्शनिक रूप से समाजवाद क्यों अस्वीकार्य है।
आज की दुनिया में प्रासंगिकता
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सरकारें जब जनता का पैसा बेतरतीब तरीके से खर्च करती हैं, तो वह फ्रीडमैन की चौथी स्थिति बन जाती है।
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जब सफलता को दंड और औसत को पुरस्कार मिलता है, तो वह जॉन गॉल्ट की चेतावनी बन जाती है।
इसलिए, यदि हम एक तर्कसंगत, स्वतंत्र और प्रगतिशील समाज चाहते हैं—तो हमें जॉन गॉल्ट की हड़ताल और फ्रीडमैन की चेतावनी दोनों को गंभीरता से लेना चाहिए।
अमेरिका में 324 लोगो के विरुद्ध केस दर्ज हुआ है मेडिकेयर व मेडिकेड प्रोग्राम में 15 बिलियन डॉलर, याने लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपये, का घोटाला करने के आरोप में. ये दोनों प्रोग्राम अमेरिका की मुफ्तखोरी योजनाये है.
अमेरिका की प्रतिव्यक्ति आय भारत से तीस गुना है, और वहाँ के 95%“ग़रीब” दुनिया के किसी भी अन्य देश में गरीबो की सूची में नहीं आयेंगे. फिर भी वहाँ भी राजनेता मुफ्तखोरी योजनाये चलाते है क्यूंकि इन्ही योजनाओं में नेताओ की सारी मलाई छुपी है.
और समाजवादी योजना का वहाँ भी वही परिणाम हुआ है जो किसी भी समाजवादी देश में होता है: जनता भ्रष्ट हो गई है.
कोई समाज कितना भी सत्यनिष्ठ honest हो, समाजवाद आते ही भ्रष्ट हो जाएगा. और कितने भी लोकपाल ले आओ, भ्रष्टाचार बढ़ता ही जाएगा.
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