मुख्य सूची (1-11):
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जब तुर्की को भारत के लोगों की मेहनत के पैसों से मदद दी जा रही थी, तब क्या यह सरकार की गलती थी या नहीं?
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जब सोगाते मोदी किट बाँटी जा रही थी, तब क्या यह सरकार की गलती थी या नहीं?
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मणिपुर में जब हिंदू मारे जा रहे थे, तब कौन-सी कूटनीति (डिप्लोमेसी) अपनाई गई थी?
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बांग्लादेश में जब हिंदू मारे जा रहे थे, तब भारत सरकार ने कौन-सी कूटनीति अपनाई?
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पश्चिम बंगाल में जब हिंदू मारे जा रहे थे, तब सरकार की कूटनीति क्या थी?
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ब्रिटेन और कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर सरकार ने क्या ठोस कार्रवाई की?
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पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए?
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सुप्रीम कोर्ट के जजों से जुड़े मामले में सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए?
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भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ सरकार ने क्या ठोस कार्रवाई की?
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आज तक भारत के लोगों का सारा पैसा मोटे स्तर पर कश्मीर के विकास में क्यों लगाया गया, जबकि वहाँ पर हिंदुओं को पुनः स्थापित किए बिना विकास करना सिर्फ जिहादी ताक़तों को मज़बूत करना है?
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सारी दुनिया के नेता जो भी काम कर रहे हैं — जैसे डोनाल्ड ट्रंप, पुतिन, नेतन्याहू, शी जिनपिंग — उनके कार्य और नीतियाँ सबको साफ़ दिख रही हैं। लेकिन मोदी जी ऐसे निर्णय क्यों लेते हैं जिन्हें समझने के लिए रिसर्चर को भी माइक्रोस्कोप लगाना पड़ता है? अगर लाभ है भी तो स्पष्ट क्यों नहीं?
अलग विशेष प्रश्न:
🔹 जब लड़ाई पूरी तरह धर्म के आधार पर थी, तो सरकार ने इसे सिर्फ एक "राष्ट्र-सीमाई" मुद्दा बताकर क्यों प्रस्तुत किया और जनता को गुमराह क्यों किया?
आगे बढ़ते हुए कुछ गहरे विचार:
जो व्यक्ति वक़्फ़ बोर्ड को गलत नहीं कह पाया और उसमें छोटे-मोटे बदलाव करके महान बनने निकला है, क्या वह विश्व का महामानव बन सकता है? अगर वही किसी के लिए महामानव है, तो समझो वह चमची में पल रहा बैक्टीरिया है।
जो अपने ही राजधानी में 'खालिस्तानियों' जैसे समूह से अपने राष्ट्रध्वज को नहीं बचा पाया, रूस और यूक्रेन वाले तो उसकी क्या ही कदर करते होंगे, समझ लो।
कई बार विदेशी ताकतें किसी राष्ट्र के नेता को महान बनाने के लिए समर्थन करती हैं क्योंकि वे नेता अपने निजी फायदे को प्राथमिकता में आखिरी रखते हैं—पहले वे राष्ट्र और धर्म के लिए काम करते हैं। गांधी को महान किसने बनाया? भारत के दुश्मन ब्रिटिशों ने। वैसे ही, जब सारे मिडल ईस्ट के मुस्लिम देश मोदी को मेडल दे रहे हैं, तो वे क्यों दे रहे हैं? अगर ट्रंप कह रहा है कि मोदी महान है, तो वह चाहता है कि मोदी जैसा कठपुतली ही भारत में बना रहे। भारत में पहले भी नेता कठपुतली ही रहे हैं—इस बार फर्क यह है कि यह कठपुतली बहुत रियल लगती है और वैसी ही बैठाई गई है।
पहलगाम हमले के बाद भी कोई कार्यवाही न करना यह दर्शाता है कि भारत के पास हमले के 100 घंटे बाद भी कोई ठोस कार्य योजना नहीं थी। और भारत के नेता जातिगत गणना करनी चाहिए या नहीं, इसी में व्यस्त थे। हो सकता है इन्हीं नेताओं ने कहा हो—“अभी रुक जाओ, हमें वोट पॉलिटिक्स का मुख्य काम कर लेने दो, फिर हमले को देखेंगे।”
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