Friday 9 April 2021

हमारे दुश्मन अकर्मण्यता , कायरता , कुतर्क और निष्क्रियता

 

हमारे लोग हमेशा कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेते हैं और हमारे पास जो रिसोर्स हे उस का कहा और कैसे उपयोग करे और उश्मे कैसे बढ़ोतरी करे ये ना सोच कर कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेते हैं .


हमारे  ज्यादातर लोग केवल दुखो का रोना रोते रहते हे .कई बार तो इनको प्रॉब्लम का भी सही से ज्ञान नहीं होता हे 

इनको सहिमे प्रोब्ले काया हे वो पतानहीं होता हे।  वे हमेशा प्रॉब्लम क्या हे वो बदलते रहते हे .

असल में ये बात इनको पता हो और न हो ऐसा भी हो सकता हे . और हमेशा यही प्रॉब्लम के बारे में उनको संशय होता है

और प्रॉब्लम क्या है वो पता लग भी गया तो भी मनुष्य का सबसे बड़े दुश्मन  अकर्मण्यता , कायरता , कुतर्क और निष्क्रियता

समस्या का समाधान मिल भी जाये तो भी अकर्मण्यता का शिकारी अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए कोई ना कोई बहाना 

ढूंढ लेते हैं . अकर्मण्यता का कारण कायरता भी हो सकता है .और कायरता छुपाने के लिए कोई ना कोई कुतर्क का सहारा लिया जाता है .  

ऐसे लोग इतिहास और वर्तमान की सिस्टम का दोष दे कर वर्त्तमान में निष्क्रियता में रह कर 

भविष्य उज्जवल बनानेकी बाते करते हे .

निष्क्रियता  छुपाने के लिए कोई ना कोई कुतर्क का सहारा लिया जाता है .  Example ( अहिंसा )

जो  मनुष्य केवल खुद को यूनिवर्स के सेण्टर में रख कर जी रहा हो और खुद का फायदा ही सबसे महत्व पूर्ण रख ता हो उस  नेरो माइंडसेट (संकीर्ण मानसिकता ) का मनुष्य अकर्मण्यता , कायरता , कुतर्क और निष्क्रियता का सहारा लेता हे 

ऐसा मनुष्य मानवता और खुद का भी दुश्मन होता है . हमारे आज कल के जिहादियों की फ्री में वकालत करने वालो का कुछ असा ही हाल हे

जिज्ञासा और संदेह (संशय) कोई भी रिसर्च के लिए बहुत ही अच्छा है . लेकिन पूरी लाइफ संशय में बिता देना अच्छी बात नहीं 

संशय भी ऐसा होना चाहिए की उसे मानवता और विज्ञान में बढ़ोतरी हो . 

सरकार के अधीन भारत के हिंदू मंदिर नहीं रहने चाहिए ये बात बिलकुल सही हे  क्युकी हमारा राष्ट्र अभी भी हिन्दू , जैन और बौद्ध धर्म दर्शनशास्र  १००% फॉलो नहीं करता इतिहास और वर्त्तमान की अकर्मण्यता , कायरता , कुतर्क और निष्क्रियता की वजहसे जिहादी मजहब भी संविधान की आड़ में सामान और सुरक्षित हे इसलिए . लेकिन अभी भी सरकार के  अधीन नहीं रहने चाहिए ये पता  हे लेकिन किशके अधीन रहना छाए ये बहोत कॉम्प्लिकेटेड समस्या हे . और जब तक हम एक अखंड महाभारत हिंदू राष्ट्र नहीं बनाते, तब तक  100% और स्थायी समाधान नहीं है। लेकिन तबतक हमें वर्त्तमान के हालत के अनुसार कैसे भी करके मंदिरो को ये सेकुलर और सर्व धर्म समभाव  ( मानव और राक्षस दोनों एक ही हे वाले सविधान ) के चगुल में से छुड़वा लेने हे 

केलिन सरकार के अधीन से निकलने के बाद भी ये मंदिर केवल हिन्दू औ के लिए अच्छे कार्य करसकते हे लेकिन राष्ट्र के लिए काम नहीं आ सकते क्युकी राष्ट्र के लिए कुछभी करना उस में जेहादिओं का भी हिस्सा होगा अभी के सविधान के हिसाबसे .

मंदिरो की सम्पति केवल हिन्दू ओ के लिए यूज़ होनी चाहिए।  और उष्का जेहादी और को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष 

रूप से कोई भी फायदा नहीं होना चाहिए

हमारे कई लोग आज बोल रहे हे मंदिरो का धन सरकार के पास जरहाहे इसलिए सनातन कमजोर पड़ रहाहे , बात तो सही हे लेकिन कोई ये नहीं बता रहा ही जो मंदिर सरकार के अंतर्गत नहीं हे और उन्हें करोडो का सालाना दान मिलता हे उस मेसे कितना धन आजतक यति नरसिम्हा नन्द सरस्वती जैसे योद्धा ओ को काम में आया ?. 

मेरे शेरो बढ़ो आगे , करो दिशाओं को रोशन अपनी चिता ओ से -- यति नरसिम्हा नन्द सरस्वती

समझ समझ के समझ को समझो समझ समझना भी एक समझ है समझ समझ को जो ना समझे मेरी समझ में वह नासमझ है  -- सूर्यसागरजी गुरुदेव 

#Nationalist #philosophie #दार्शनिक



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